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Navlakha Mahal
Udaipur
Monday - Sunday
10:00 - 18:00
       

नाम – अशोक आर्य
माता का नाम – श्रीमती देवी
पिता का नाम – श्री ईश्वरी प्रसाद प्रेम,
वानप्रस्थ आश्रम का नाम – आचार्य प्रेमभिक्षु,
आर्यजगत् के उच्चतम कोटि के विद्वान्, प्रवक्ता, लेखक, सम्पादक, कवि संस्थापक विरजानन्द वैदिक साधनाश्रम, मथुरा, वेदमंदिर, मथुरा, 60 से ज्यादा ग्रन्थों के लेखक,
संस्थापक सम्पादक – तपोभूमि मासिक

धर्मपत्नी – श्रीमती आभा आर्या
संतान – 1. श्रीमती शुचिता अग्रवाल, एम. एससी, भारत सरकार द्वारा- क्वालीफाइड फूड एनेलिस्ट, राजकीय खाद्य प्रयोगशाला, जयपुर
2. डॉ. प्रशान्त अग्रवाल, चर्म रोग, हेयर ट्रान्सप्लांट विशेषज्ञ एवं कास्मेटोलोजिस्ट, डर्माडेंट क्लीनिक, उदयपुर
जन्म स्थान – मथुरा
जन्म दिनांक – 13 जुलाई 1953
शिक्षा – बी.एस सी., भारत सरकार द्वारा- क्वालीफाइड फूड एनेलिस्ट, एम.ए., एलएल. बी.
कार्यक्षेत्र – राजस्थान सरकार के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अन्तर्गत, पी ऍफ़. ए. एक्ट 1954 की क्रियान्वति के क्रम में खाद्य विश्लेषक के रूप में विभिन्न जगह सेवाएँ देने के पश्चात् 1994 से 2013 तक उदयपुर स्थित प्रयोगशाला के प्रभारी रह, खाद्य पदार्थों में मिलावट रोकने के महत्वपूर्ण कार्य को संपादित करने के पश्चात् अवकाश प्राप्त किया।
सामाजिक क्षेत्र – पितृ परम्परा से आर्य समाज से बचपन से ही जुड़ाव, आर्य समाज के अत्यन्त महत्वपूर्ण पदों पर सेवा, आर्यजगत् में सुस्थापित लेखक तथा वक्ताओं में गण्य, देश तथा विदेश में सम्मानित, अंतर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मलेन में सम्मानित, विदेशों में अनेक सम्मेलनों में सहभागिता एवं वक्तृता, आर्य समाज अलवर द्वारा ‘कर्मवीर आर्य श्रेष्ठ’ की उपाधि से सम्मानित।
विदेश यात्राएँ – शिकागो, न्यूजर्सी, मॉरीशस, हालैण्ड, बेल्जियम, इस्ताम्बूल, बैंकाक, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड आदि देशों/शहरों में आर्य सम्मेलनों में सहभागिता
सद्यः – कार्यकारी अध्यक्ष, श्रीमद्दयानन्द सत्यार्थ प्रकाश न्यास, उदयपुर, नवलखा महल, गुलाबबाग, उदयपुर के रूप में अनेक प्रवृत्तियों के माध्यम से वैदिक भारतीय संस्कृति के अधिकाधिक प्रचार का प्रयास 2004) से।
साहित्यिक – कई पुस्तक-पुस्तिकाओं का लेखन जिनमें ‘वैदिक संस्कृति एक सरल परिचय’, सत्यार्थ दर्शन (तीन भाग) महत्वपूर्ण, सत्यार्थ प्रकाश पर विविध प्रतियोगिताओं के प्रणेता, 2012 से प्रसिद्ध मासिक पत्रिका ‘सत्यार्थ सौरभ’ का सम्पदान।
पता – 7, आर्य निकुंज, बसन्त विहार, अर्पण सेवा संस्थान के पाछे, 100 फीट रोड, न्यू भूपालपुरा, उदयपुर- 313001 (राज.)
चलभाष – +91 93142-35101, +91 80058-08485

Blog

Mar 8, 2018 |

Navalakha Mahal is situated in the heart of a blooming rose garden(Gulab Bag) which was originally laid out in the nineteenth century in the historical city of Udaipur also known as the “City of Lakes”.

This Navalakha Mahal carries in its bosom the hallowed memories of Maharishi Dayanand, a remarkable sage and reformer who brought the light of Vedic learning to the Indians who in the nineteenth century were groping in darkness and ignorance. A profound scholar of Vedas and scriptures and a perfect Yogi, Maharishi Dayanand sacrificed his very being on the alter of humanity.

Maharishi Davanand who arrived in Udaipur on 10 August 1882 on the invitation of His Highness Maharana Sajjan Singh, the 72nd ruler of the Kingdom of Mewar, remained here for almost six and a half months and stayed in Navalakha Mahal.