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Navlakha Mahal
Udaipur
Monday - Sunday
10:00 - 18:00
       

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३डी थियेटर

नवलखा महल, उदयपुर में, विश्व प्रसिद्ध आर्यावर्त चित्रदीर्घा पहले से ही सहस्त्रो जनो को प्रतिवर्ष आकर्षित कर रही है| इसी को विस्तार देने हेतु एक ३डी थियेटर (सर्वोत्कृष्ट क्वालिटी में ) तैयार किया जा रहा है | जिसमे छात्रपयोगी लघु फिल्मे दिखाई जाएँगी |

संस्कार वीथिका

महर्षि दयानन्द सरस्वती ने भारतीय मनीषा को पुनजीर्वित करते हुए ‘मानव तू मानव बन’ को साकार करने हेतु 16 संस्कारों से युक्त ‘मानव निर्माण पद्धति’ हमें ‘संस्कार विधि’ के रूप में प्रदान की है | परन्तु इसका प्रचार अत्यल्प ही हुआ है |

Green Organization

दाहिने हाथ के पार्श्व में बरामदा सबसे पवित्र है, वह कक्ष जिसमें महर्षि दयान और अपने अमर सत्यार्थ प्रकाश को लिखने के लिए नियमित रूप से बैठते थे।

Satyarth Prakash Nyas

Navalakha Mahal is situated in the heart of a blooming rose garden (Gulab Bag) which was originally laid out in the nineteenth century in the historical city of Udaipur also known as the “City of Lakes”.

About Arya Samaj

Arya Samaj, founded by Swami Dayanand Saraswati on April 10, 1875 in Bombay (now Mumbai), is a social reform movement. Contrary to some misconceptions, it is not a religion or a new sect in Hindu religion. Swami Dayanand brought together a number of concerned members of the society to eliminate the ills prevalent within the Hindu Society in the 19th century.

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    School-Based Programs

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    Raised:
    ₹4 arab
    Goal:
    ₹1,000.00

    Learn About Tolerance

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    Raised:
    ₹678.00
    Goal:
    ₹500.00

    Classroom Materials

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    0
    Raised:
    ₹3,034.00
    Goal:
    ₹500.00
    1259

    Donations

    730

    Volunteers

    827

    Projects

    460

    Missions

    नवलखा महल सांस्कृतिक केन्द्र

    नवलखा महल, उदयपुर

    दीनदयाल सुरेशचंद्र आर्य संस्कार वीथिका

    नवलखा महल, उदयपुर में, विश्व प्रसिद्ध आर्यावर्त चित्रदीर्घा पहले से ही सहस्त्रो जनो को प्रतिवर्ष आकर्षित कर रही है| इसी को विस्तार देने हेतु एक ३डी थियेटर (सर्वोत्कृष्ट क्वालिटी में ) तैयार किया जा रहा है | जिसमे छात्रपयोगी लघु फिल्मे दिखाई जाएँगी | संस्कार वीथिका के बारे में हमारा निवेदन है की महर्षि दयानन्द सरस्वती ने भारतीय मनीषा को पुनजीर्वित करते हुए ‘मानव तू मानव बन’ को साकार करने हेतु 16 संस्कारों से युक्त ‘मानव निर्माण पद्धति’ हमें ‘संस्कार विधि’ के रूप में प्रदान की है |

    Bhartiya Sanskriti Mulyankan