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Satyarth Prakash Nyas / सम्पादकीय  / लग जाय तो तीर नहीं तो तुक्का

लग जाय तो तीर नहीं तो तुक्का

एक बालक भी यदि दस बार डार्ट फैंकता है तो उसका निशाना भी एक दो बार तो लग ही जाता है। संभाव्यता का नियम (Law of Probability) भी यह मानता है। यह िस्थति फलित ज्योतिष की है ! कभी कभार तुक्का लग जाता है तो फलित ज्योतिष को विज्ञान की श्रेणी में घोषित करने का घोष किया जाता है। आश्चर्य है कि हजारों बार जब फलित ज्योतिषी उलटे मुँह गिरता है तब उसे जन-मानस शीघ्र विस्मृत कर देता है। इसके कई मनोवैज्ञानिक कारण हैं। परन्तु फलित ज्योतिष का व्यापार इसी बौद्धिक सुप्तावस्था के कारण फल-फूल रहा है। बौद्धिक सर्वनाश से बचना तथा आमजन को बचाना आर्य समाज का प्रमुख कार्य है। पर इस ओर अधिक चिंतन होकर ठोस कार्य नहीं हो पा रहा है। सत्यार्थ सौरभ के माध्यम से जन-जन में तर्क की प्रतिष्ठा का विनम्र प्रयास हम करते रहे हैं और करते रहेंगे।

15 मई 2014 की शाम थी। मेरा विचार है कि इस दिन सर्वाधिक व्यक्ति अपने अपने टेलीविजन की स्क्रीन से चिपके हुए होंगे। कारण कि दूसरे दिन 16 मई को चैदहवीं लोकसभा के ऐतिहासिक चुनावों के परिणाम आने वाले थे। मैंने देखा है कि प्रायः ज्योतिषी घटना घट जाने के बाद, हमने तो पहले ही बता दिया था, ऐसा दावा करते हैं। मैं सोच ही रहा था कि अबकी बार ज्योतिषियों की भविष्यवाणियाँ अभी सामने नहीं आईं इतने में ही देखा कि एक प्रसिद्ध चैनल पाँच ज्योतिषियों को लेकर उपस्थित हुए और उनसे श्री नरेन्द्र भाई मोदी के प्रधानमंत्री बनने की संभावना पर अपनी भविष्यवाणी करने का निवेदन किया। उनमें से तीन ने श्री मोदी के प्रधानमंत्री बनने की संभावना से साफ इंकार कर दिया। एक का कथन था कि केाई महिला ही प्रधानमंत्री बनेगी जबकि अन्य दो ने श्री मोदी के प्रधानमंत्री बनने की संभावना को दावे के साथ तो नहीं परन्तु संभावना के रूप मंें ही स्वीकार किया।

इसी प्रकार इन्हीं चुनावों की बात करें तो एक प्रसिद्ध ज्योतिषी एवं बृहन्महाराष्ट्र ज्योतिष मंडल के अध्यक्ष श्री नन्द किशोर ने 5 अप्रैल 2014 को एक प्रेस कांफ्रेंस की तथा घोषणा की कि उन्होंने तथा उनके साथियों ने लोकसभा चुनाव लड़ने वाले 4000 उम्मीदवारों की जन्मपत्रियों का अध्ययन किया है और उनकी निश्चित घोषणा थी –

भाजपा को 155 से 165 सीट मिल सकेंगी। नरेंद्र मोदी प्रधान मंत्री नही बन सकते तथा जो भी सरकार बनेगी वह कांग्रेस के 115 सांसदों के सहयोग से बनेगी। इन भविष्यवाणियों का क्या हश्र हुआ यह आप सब जानते हैं। इन्हें मिलाकर इन्होंने 22 भविष्यवाणियाँ कीं जिनमें से 18 गलत निकलीं और 2 अभी भविष्य के गर्भ में हैं।

बंगलौर के एक ज्योतिषाचार्य ने एन. डी. ए. को केवल 200-220 सीटें दी जबकि जनता ने 340।

एक प्रसिद्ध ज्योतिषी जी का कहना है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों की साढ़े साती चल रही है। पर इसी दशा में मोदी जी ने इतिहास रचा।

पिपं. दीपक जी अधिकांश ज्योतिषियों की तरह नाकाम रहे। पं. दीपक जी ने अपने असफल होने पर चिंता जाहिर की परन्तु कारण के रूप में उन्होंने मोदी जी की जन्मकुंडली का गलत होना बताया तथा सही जन्म कुण्डली भी खोज ली। साथ ही मार्केटिंग स्ट्रेटजी के अंतर्गत एक और भविष्यवाणी कर दी कि 7 नवम्बर 2041 को महाप्रलय होगी। जनता को २ दिन पुरानी भविष्यवाणी तो याद नही रहती उम्मीद करेंगे कि 2041 और पं. दीपक जी को याद रखेंगे, पिछले 20 वर्षों में हुई 5 महाविनाश की घोषणाओं सहित।

धन्य है कल्पना लोक में जीने वाले इंसानों को। जब तथाकथित ज्ञानियों से काम नहीं चला तो जानवरों से वही काम लिया जा रहा है। गत फुटबाल विश्व कप में एक आॅक्टोपस ज्योतिषी बने और पाल बाबा के नाम से मीडिया में सुर्खियों में रहे। इस बार एक कछुआ। वह जिस देश के झंडे से लगी मछली को खाता था उसे विजयी होना ही था। ब्राजील के बारे में इस मजाकिया उपक्रम में तीन भविष्यवाणियाँ गलत हुयीं। उपरवर्णित भविष्यवक्ताओं के भविष्य कथन कितने सही निकले यह सब तो अब हमारे सामने ही है। वस्तुतः फलित ज्योतिष का राज्य भारत में ही नहीं विदेशों मंे भी विस्तृत होने का सबसे बड़ा कारण यह है कि हम ऐसी बातों पर न तो गम्भीरता पूर्वक सतर्क विचार करते हैं और विचार करते भी हैं तो भविष्य वक्ताओं के गलत साबित होने वाले दावों को आसानी से विस्मृत कर देते हैं। हम यह भी नहीं देखते कि कौन कौनसी ऐसी घटनाएँ हैं जिनके बारे में इन्होंने भविष्यवाणी नहीं की। अस्तु। कुछेक ऐसी घटनाएँ यहाँ रखना चाहूँगा जिनकी घोषणा भारत सहित विश्व के यही स्थिति फलित ज्योतिष की है। कभी कभार तुक्का लग जाता है तो लग जाय तो तीर नहीं तो तुक्काअनेकों ज्योतिषियांे ने कीं और वह गलत निकलीं।

अमेरिका की एक प्रसिद्ध ज्योतिष पत्रिका ‘द एस्ट्रोलोजिकल मैगजीन’ में अनेक भविष्य वक्ताआंे ने यह दावा किया था कि भारत के 1971 के चुनाव में श्रीमती इन्दिरा गाँधी चुनाव हार जायेंगी पर हर कोई जानता है कि उन्होंने प्रचण्ड बहुमत से यह चुनाव जीता। ऐसा ही 1980 के चुनाव में हुआ जब एक प्रसिद्ध ज्योतिषी ने दावा किया कि श्रीमती इन्दिरा गाँधी कभी भी प्रधानमंत्री नहीं बन सकतीं परन्तु हमने देखा उन्होंने प्रचण्ड बहुमत प्राप्त किया, वे प्रधानमंत्री बनीं और एक स्थायी सरकार उन्होंने चलाई।

1980 में भारतीय ज्योतिष संघ ने एक बहुत बड़ी अन्तर्राष्ट्रीय सभा का आयोजन किया जिसमें सभा के अध्यक्ष व सचिव ने भविष्यकथन किया कि 1982 में पाकिस्तान के साथ युद्ध होगा जिसमें भारत विजय प्राप्त करेगा और 1982 व 1984 के बीच विश्व युद्ध होगा। सभी जानते हैं कि यह भविष्य कथन भी बिल्कुल गलत निकला।.

यहाँ हमें यह भी देखना हेागा कि विश्व में इतनी दर्दनाक घटनाएँ घटती रहती हैं जिनके बारे में ये तथाकथित भविष्यवक्ता यदि पूर्व में सचेत कर दें तो शायद जान-माल की भीषण हानि से बचा जा सकता है। मुझे स्मरण नहीं आता कि जब 9/11 को अमेरिका की सबसे ऊँची बिल्डिंग व बिजनेस सेन्टर ट्विन टावर को अलकायदा ने उड़ाया, तो उससे पहले उन ज्योतिषियों ने जो कि एक एक मिनिट तक की भविष्यवाणी सही होने का दावा करते फिरते हैं इसको पूर्व कथित किया हो। अभी हाल में मलेशिया का एक विमान गायब हो गया और एक विमान को उड़ा दिया गया। मैं सोचता हूँ कि तथाकथित फलित ज्योतिष का उपयोग यहाँ किया जाता तो मानवता की बहुत बड़ी सेवा होती।

जब रूस के एक शहर ब्ीमसलंइपदेा में उल्का गिरी और 1491 लोग घायल हुए और 4300 बिल्डिंगों का भयंकर नुकसान हुआ, इसका भविष्य कथन किसी ज्योतिषी ने नहीं किया। ब्रोंक्स ट्रेन का पटरी से उतर जाने के कारण भयंकर एक्सीडेन्ट हुआ परन्तु किसी भविष्यवक्ता ने इसका कथन भी नहीं किया।

सिल्विया ब्राउन नाम की विश्व प्रसिद्ध भविष्यवक्ता ने अमाण्डा वेरी की माँ को 2004 में यह कह दिया कि वह मर चुकी है। परन्तु वो मई 2013 में अपहत्र्ता के चंगुल से छूट जिन्दा वापस मिलीं। सिल्विया ब्राउन ने अपनी ही मौत का भविष्य कथन किया था और कहा कि वह 88 साल की उम्र में मरेंगी परन्तु उनका देहान्त 77 साल की उम्र में ही हो गया।

जेन डिक्सन विश्व की प्रसिद्ध ज्योतिषी मानी जाती हैं। कहा जाता है कि जैफ कैनेडी की हत्या की भविष्यवाणी उन्होंने ठीक-ठीक कर दी थी। जबकि यह सही नहीं है। मई 1968 में अमेरिका में स्काॅर्पियन नाम की सब मैरिन गायब हो गई, तो एक टीवी शो पर उन्होंने कहा कि स्काॅर्पियन के सभी 99 व्यक्ति जिन्दा एवं सुरक्षित हैं। अन्ततोगत्वा यह भविष्यवाणी गलत निकली और पनडुब्बी के डूब जाने की वजह से एक भी व्यक्ति जिन्दा नहीं बच सका। इस पर भी डिक्सन से एक टेलीविजन शो में कहा कि मैं पहले से ही जानती थी कि पनडुब्बी के साथ क्या हुआ है। एक ट्यूब पनडुब्बी की तरफ जा रही थी जिसे मैंने देखा था। बात यह भी गलत थी क्योंकि पनडुब्बी को तारपीडो नहीं किया गया। इन्हीं डिक्सन ने कहा कि 1958 में तृतीय विश्वयुद्ध चीन की भूमि पर आरम्भ होगा। सोवियत रूस सबसे पहले चन्द्रमा पर आदमी भेजेगा। अमेरिका के 1992 के चुनावों में जार्ज बुश जीतेंगे जाहिर है कि ये सारी भविष्यवाणियाँ गलत निकलीं। तृतीय महायुद्ध अभी तक नहीं हुआ। चन्द्रमा पर आदमी 1969 में अमेरिका ने भेजा और 1992 में बिल क्लिन्टन विजयी हुए। पर बात यही है कि इतनी सारी प्रचुर मात्रा में गलत भविष्यवाणियों के होते हुए भी लोग भविष्यवक्ताओं के घर का रास्ता नहीं भूलते और इसमें बड़े से बड़े पढ़े लिखे उच्च पदस्थ व्यक्ति सम्मिलित होते हैं। इसलिए साधारण जनता तो बेवकूफ बनती ही है।

कुछ भविष्यवक्ताओं ने 2013 के लिए भविष्यवाणियाँ कीं थीं जो अन्ततोगत्वा गलत साबित हुयीं। ये सभी भविष्यवक्ता विश्वस्तर के माने जाते हैं। कुछ उदाहरण देखिएः-

1. संयुक्त राज्य अमेरिका पर रासायनिक हथियारों से हमला।

2. न्यूयार्क पर परमाणु बम से आक्रमण।

3. वेटिकन सिटी व उसके पोप पर आक्रमण।

4. मलाला यूसुफ को 2013 का नोबल पुरस्कार।

सभी जानते हैं कि ये भविष्यवाणियाँ असत्य निकलीं।

एक बड़ी अच्छी भविष्यवाणी ब्लेयर राबर्टसन ने की। जिनका कहना था कि 2013 में अत्यधिक बड़ी संख्या में डायबिटीज का रोग गायब हो जायेगा। काश कि ऐसा हेाता परन्तु आंकड़े इसके विपरीत ही बोल रहे हैं। भारतीय ज्योतिषियों की बात करें तो सबसे पहले मैं जिक्र करना चाहूँगा बनारस के एक प्रसिद्ध ज्योतिषी पं. सुधाकर द्विवेदी जी का, जिनका उल्लेख स्वामीविद्यानन्द जी सरस्वती ने अपने सत्यार्थ भास्कर में किया है। इन ज्योतिषी के यहाँ एक कन्या का जन्म हुआ। स्वयं बहुत बड़े ज्योतिषी थे उसकी जन्मकुण्डली बनायी और भविष्यकथन कर अपने अन्य ज्योतिषी मित्रों को भी भेजी। सभी का भविष्य कथन कन्या के उज्ज्वल भविष्य का था। उस कन्या का विवाह ‘अटल सौभाग्य’ के विश्वास के साथ पिता ने किया परन्तु विवाह के छह माह बाद ही वह विधवा हो गई। इस दुर्घटना की संभावना किसी भी ज्योतिषी को दूर-दूर तक नहीं थी। पिता इस अविद्या इतने त्रस्त हुए कि उन्होंने सदा के लिए यह व्यापार छोड़ दिया।

ठीक ऐसी ही स्थिति सिन्धिया सरकार के ज्योतिषी पं. बलदेव प्रसाद सिन्धिया, पं. सूर्यनारायण व्यास (उज्जैन) के साथ हुयी। उन्होंने भी फलित ज्योतिष को तिलांजलि दे दी। ज्योतिषियों द्वारा लगाए गए एकाध तीर जब तुक्का बन जाते हैं तो केवल उन्हीं की चर्चा मीडिया में होती है। दस में से एक सफलता की चर्चा और 9 असफलताओं का जिक्र भी न करना समाज में अन्धविश्वास को बढ़ाने में सहायक होता है।

एक और भारतीय प्रसिद्ध भविष्यवक्ता हैं जो कि अक्सर टेलीविजन पर आते रहते हैं उनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने संजय गाँधी की मृत्यु, भारतीय जनता पाटी के अभ्युदय, गुजरात के भूकम्प और कारगिल युद्ध की भविष्यवाणी कर दी थी। उन्होंने यह भी भविष्यकथन किया था कि 2001 और 2002 के बीच कश्मीर की समस्या सुलझ जायेगी। 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी के पुनः प्रधानमंत्री बनने का भविष्य कथन भी इन्होंने किया था। उन्होंने यह भी भविष्यकथन किया था कि 2010 से पहले अमेरिका में एक महिला राष्ट्रपति चुनी जायेगी। पर इन सभी असत्य भविष्यवाणियों की ओर किसी का ध्यान नहीं जाता। दस बातों में से दो तीन बातों का सही हो जाना निश्चितता के अन्तर्गत नहीं आता।

प्रायः अनेक अवसरों पर हम देखते हैं कि घटना घटने के बाद उसकी ज्योतिषीय व्याख्या ज्योतिषियों द्वारा की जाती है। पर यह व्याख्या ऐसी ही स्थितियों में सदैव क्यों नहीं लागू होती है, यह प्रश्न करना हम भूल जाते हैं। ‘द एस्ट्रोलोजिकल मैगजीन’ के एक सम्पादक ने द्वितीय विश्व युद्ध के बारे में लिखा कि विश्व युद्ध इस कारण हुआ क्योंकि 1939 में शनि मेष राशि में था। इसका अर्थ यह हुआ कि जब भी शनि मेष राशि में हो तो युद्ध अवश्यम्भावी है। जानकारों के अनुसार 1909 तथा 1968 में भी शनि मेष राशि में था, तब ऐसी महायुद्ध जैसी घटना क्यों नहीं घटी।

विश्वभर में फलित ज्योतिष की वैज्ञानिकता को जाँचने के लिए अनेक शोध हो रहे हैं। ऐसे एक शोध में ज्योफ्रेडी ने भी फलित ज्योतिष को असार पाया।

बनारस के जिन ज्योतिषी जी की हमने चर्चा की है उन्हीं की तरह 17 वीं शताब्दी में फ्लेमस्टीड इंग्लैण्ड के राज ज्योतिषी थे। उन्होंने कई सालों तक यह कार्य किया अन्त में आत्मा में जो सच्चाई उनको लगी उसे मानते हुए उन्होंने भी फलित ज्योतिष को अलविदा कह दिया। उन्होंने एक पुस्तक लिखी जो प्रकाशित नहीं हुई परन्तु उनकी प्रस्तावना का सार हम इसी अंक में एक लेख के रूप में दे रहे हैं।

वस्तुतः फलित ज्योतिष न कोई विज्ञान है न इसके निश्चित सिद्धान्त हैं। अगर ईश्वर एक है उसकी व्यवस्था एक है तो किसी भी विज्ञान के नियम भी एक जैसे और सार्वभौम होने चाहिए। अगर भारत में 2 और 2 चार होते हैं तो रूस भी में 2 और 2 चार होने चाहिए। परन्तु जहाँ तक फलित ज्योतिष का सवाल है भारत, चीन, इंग्लैण्ड, अमेरिका इन सबमें जन्म पत्रिका बनाने की पद्धतियाँ और उनके निर्वचन की पद्धतियाँ भी अलग-अलग हैं। जाहिर है निष्कर्ष भी एक जैसे नहीं होंगे। यह सारा व्यापार मानव मनोविज्ञान पर आधारित है। हम सभी अपना भविष्य जानना चाहते हैं और प्रायः अच्छा-अच्छा सुनना पसन्द करते हैं, इसलिए ज्योतिषियों ने भी यह पद्धति अपना ली है, प्रायः ऐसी भाषा का प्रयोग करते हैं जो 70 से 80 प्रतिशत लोगों पर फिट बैठ जाती है। साथ ही सकारात्मक भविष्यकथन की परम्परा भी इसी मनोविज्ञान के चलते बढ़ती जा रही है। इस प्रकार के कुछ उदाहरण देखिएः-

अ.आप परिवार को महत्व देने वाले व्यक्ति हैं, आप अपने व्यापार पर ध्यान देना चाहते हैं। ब.आप शीघ्र निर्णय लेते हैं परन्तु कई बार आपको निर्णय लेने में मुश्किल होती है। स.थोड़ी मेहनत अधिक करें सफलता निश्चित मिलेगी। द.आपके लिए मित्र बनाने का आज बहुत अच्छा दिन है। इत्यादि इत्यादि आप किसी भी दिन का समाचार पत्र उठाकर देख लीजिए सभी राशियों के भविष्यकथन ऐसे लगेंगे कि वे आपके लिए ही किए गए हैं और उन भविष्यकथनों के समुच्चय का 70 फीसदी तो ऐसा होगा जिसे निश्चित रूप से आप अपने लिए ही समझंेगे। इसका एक बहुत ही बढ़िया उदाहरण 1979 में फ्रेन्च सांख्यकी विशेषज्ञ माइकल गउक्लिन ने प्रस्तुत किया। उसने एक सौ पचास लोगों के हाथ में एक एक जन्म पत्रिका पकड़ा दी और उनसे कहा कि आप इसकी निश्चितता के आधार पर अंक दें। 94 प्रतिशत लोगों ने कहा कि यह भविष्यकथन निश्चित रूप से उनका ही विवरण प्रस्तुत करता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि माइकल ने एक ही जन्म पत्रिका सबके हाथ में दी थी और वह भी किसकी, खूनी शैतान डाॅ.पेटियट की। तो यहफलित ज्योतिष की वास्तविकता है, अगर हम गहराई से निष्पक्ष रूप से विचार करें। इसलिए मैं यही कहूँगा कि फलित ज्योतिष के विषय में स्वामी दयानन्द सरस्वती ने अपने अमर ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश में एकदम सटीक लिखा।

‘जैसी यह पृथिवी जड़ है, वैसे ही सूर्यादि लोक हैं। वे ताप और प्रकाशादि से भिन्न कुछ भी नहीं कर सकते। क्या ये चेतन हैं जो क्रोधित होके दुःख और शान्त होके सुख दे सकें? ….. जैसा सूर्य चन्द्रमा की किरण द्वारा उष्णता, शीतलता अथवा ऋतुवत् कालचक्र का संबंध मात्र से अपनी प्रकृति के अनुकूल, प्रतिकूल सुख-दुःख के निमित्त होते हैं।’ (ग्रहादि का सुख-दुःख के संदर्भ में मानव जीवन से मात्र इतना ही संबंध है भाग्य निर्धारण में इनका कोई हाथ नहीं) इस सत्य को गाँठ बाँध लें, अनेक प्रकार के दुःखों से बचाव हो जावेगा।

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