कहाँ मुँह छुपाओगे
अरविन्द केजरीवाल की आप पार्टी ने दिल्ली चुनाव में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त कर ली है। इस प्रकार की विजय का अनुमान तो स्वयं आप पार्टी ने नहीं लगाया होगा। इस चुनाव के परिणामों का विश्लेषण सत्ताधारिओं को एक सन्देश दे रहा है जिसे वे समय रहते समझ लें तो राष्ट्र के लिए शुभ होगा। जो भी हो यह भारतीय लोकतंत्र के निष्पक्ष संवैधानिक आयुधों का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। परन्तु हम यह आलेख इस समाचार के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में नहीं लिख रहे । दिल्ली के चुनावों के पूर्वानुमानों की बात करें तो तीन प्रकार की वैध-अवैध एजेंसियाँ इस कार्य में तत्पर थीं। एक जिन्हें सैफोलोजिस्ट कहा जाता है, दूसरी सट्टाबाजार तथा तीसरे तथाकथित दैवीय विद्या में निष्णात् ज्योतिषीगण। जहाँ तक ओपीनियन तथा एक्जिट पोल करने वाले सैफोलोजिस्टों का सवाल है वे प्रायः सही भविष्यवाणी करने में सफल रहे यद्यपि आप पार्टी की इतनी बड़ी जीत का दावा वे भी नहीं कर पाए। पर सभी का यह निष्कर्ष अवश्य था कि केजरीवाल को मुख्यमंत्री बनने से कोई नहीं रोक सकता और यह हुआ भी। सैफोलोजिस्टों के परिणाम यदि गलत भी होते तो आपत्तिजनक नहीं था क्योंकि वे अपने को दैवीय विद्या का वाहक नहीं कहते। यह अनुसंधान की एक मानवीय प्रक्रिया है जिसमें त्रुटि संभव है ऐसा मानने से वे परहेज नहीं करते। जहाँ तक सट्टा बाजार का प्रश्न है उसके काम करने के तरीके गोपनीय होते हैं (अवैध होने से), अतः उन पर टिप्पणी सम्भव नहीं। हम यहाँ बात करेंगे उन भविष्यवक्ताओं की जो ग्रहों की अटलगति व स्थिति के हवाले से कहीं भी, कभी भी, किसी के भी बारे में अचूक भविष्यवाणी करने का दावा करते हैं और बार-बार चूक करते हैं। पर इनकी चूक की कहीं चर्चा नहीं होती, आलोचना नहीं होती और ज्यादातर फलित ज्योतिष में विश्वास रखने वालों को यह पता ही नहीं होता कि भविष्य के गर्भ में झाँकने का दावा करने वाले इन महारथियों के दावे हवा में इस प्रकार उड़ गए कि अगर कोई तनिक-सी भी नैतिकता रखता हो तो इस धंधे को ही छोड़ दे। इस आलेख के माध्यम से एक बार फिर हम यह विनम्र प्रयास कर रहे हैं कि अपना यह सन्देश उन लोगों तक पहुँचा सकें जो कि फलित ज्योतिष को सटीक विज्ञान मानते हुए सारी जिन्दगी इन ज्योतिषियों के चक्कर में गुजार देते हैं। अगर हम फलित ज्योतिषियों के दावों की परीक्षा करना चाहें तो हमारे विचार में जो इनकी तकनीकी शब्दावली नहीं भी जानते वे भी इतना तो आकलन कर ही सकते हैं कि इन लोगों के द्वारा की जा रही भविष्यवाणियाँ किस प्रतिशत में सही निकल रहीं हैं। हमने पिछले वर्षों में यह हमेशा अनुभव किया है, बार-बार अनुभव किया कि जब भी ज्योतिषी भविष्यवाणियाँ करते हैं तो समय आने पर और उसके बाद उन भविष्यवाणियों का क्या परिणाम रहा इस बात पर या तो हम ध्यान देने का प्रयास नहीं करते अथवा ये भविष्यवाणियाँ गलत भी निकलीं थीं यह शीघ्र भूल जाते हैं और इसी चक्कर में पड़े रहते हैं। हम यह भी मानते हैं कि इस आलेख को पढ़ने वाले आगे से फलित ज्योतिष पर विश्वास करना छोड़ देंगे ऐसा भी नहीं है परन्तु हमारा मानना है कि सत्य के प्रति समाज में जागरूकता उत्पन्न करने के प्रयास करते रहना ‘सत्यार्थ-सौरभ’ का उद्देश्य है। हम तो यह भी कहेंगे कि इस आलेख में विभिन्न वेवसाइटों पर उपलब्ध विभिन्न ज्योतिषियों की दिल्ली चुनाव के बाबत् भविष्यवाणियाँ जो हम दे रहे हैं वे पूर्णतः गलत साबित हो चुकी हैं जैसा कि लोकसभा चुनाव 2014 के समय में हुआ था अतः ज्योतिषी भाइयों को इस आलेख का बुरा न मान स्वीकार करना चाहिए कि दो-दो महत्वपूर्ण अवसर पर पूर्णतः गलत निकलना आखिर क्या सन्देश दे रहा हैं? कम से कम फलित ज्योतिष को विज्ञान मानने वाले को तो यह कहना त्याग ही देना चाहिए। कुछेक बार भविष्यवाणी सही भी निकल आती है तो वह तुक्का ही है, इससे अधिक कुछ नहीं। प्रिय पाठकगण! आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि घटनाओं की इस प्रकार व्याख्या करने वाले कि अमुक व्यक्ति के साथ ये तो होना ही था क्योंकि ग्रह-नक्षत्र यही कह रहे थे, आखिर फाइनल में फेल कैसे हो गए? पाठकगण! अब इनकी त्रिकालदर्शिता की बानगी देखें- १. एक ज्योतिषी लिखते हैं कि लग्न का स्वामी शनि दशम घर में वृश्चिक राशि (फीमेल) में है इसलिए भाजपा की मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार कोई महिला ही होगी और वह मुख्यमंत्री बनेगी। वे आगे लिखते हैं- कहाँ मुँह छुपाओगेप् बंद ूतपजम ीमतम ूपजी इवसक समजजमते जींज जीम निजनतम ब्ीपम िडपदपेजमत व िक्मसीप ूपसस इम ज्ञपतंद ठमकप ण् इनके दावे की क्या दशा हुई है यह आप सभी जानते हैं। किरण जी स्वयं ही हार गईं। यहाँ ये महाशय काफी लम्बे तथा तकनीकी विश्लेषण के पश्चात् यह भी घोषित करते हैं कि इन चुनावों में कोई भी पार्टी बहुमत प्राप्त नहीं करेगी। राष्ट्रपति-शासन की संभावना भी हो सकती है। २.श्री अशोक घई ने चेन्नई के एक प्रसिद्ध ज्योतिषी का उल्लेख करते हुए, उनकी अनेक सफल भविष्यवाणियों का जिक्र करते हुए अंत में आप पार्टी के सम्बन्ध मंे उनकी भविष्यवाणी के बारे लिखा है कि- ।जिमत क्मबमउइमत 2014 जीम चंतजल (आप) ूवनसक सवेम पजश्े ेीममद. अर्थात् दिसंबर 2014 के बाद आप पार्टी अपनी चमक खो देगी। अब यह चमक खोई या नहीं यह आपके समक्ष है। मलेशिया के खोये हुए जहाज के बारे में सही-सही जानकारी तथाकथित रूप से देने वाले यह सज्जन जो अपनी सटीक भविष्यवाणी का श्रेय श्री हनुमान जी की सिद्धि को देते हैं अब क्या स्पष्टीकरण देंगे? ३.एक ज्योतिषी जी ने 22 नवम्बर 2014 को लिखी एक पोस्ट में आप पार्टी की जन्म कुण्डली एवं ग्रह-दशाओं का विस्तृत विश्लेषण करते हुए उन दशाओं का विवरण दिया है जिन्होंने अरविन्द केजरीवाल को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाया (2013 में)। इन्होंने यह भी बताया कि चन्द्रमा सातवें घर का मालिक है अतएव पार्टी की पब्लिक इमेज खराब हो जायेगी। पार्टी की कुण्डली में शनि और शुक्र का युद्ध चल रहा है और शुक्र विजेता है इस कारण से पार्टी अध्यक्ष अपने कार्यकत्र्ताओं की बात नही सुनेगा। यह भी कहा गया है कि अरविन्द केजरीवाल की अनिश्चयात्मक मनोदशा के लिए चन्द्रमा जिम्मेदार है। आगे इन्होंने निष्कर्ष दिया है- ठमबंनेम व िजीमेम दमहंजपअम चंतंउमजमते ।ंउ ।कउप च्ंतजल ूपसस इम ेजतनहहसपदह जव बवउम पद चवूमत ंसेव जीमल ूमतम दवज इम ंइसम जव ंबीपमअम उनबी पद जीम हमदमतंस मसमबजपवदे 2015ण् क्ंेीं ंज जीम जपउम व िक्मसीप ंेेमउइसल मसमबजपवदे ूपसस इम टमदने – डववद – त्ंीन उंल दवज इम ंइसम जव हपअम हववक तमेनसजे पद जीम ंिअवनत व।िंउ।कउप च्ंतजलण् ४.एक अन्य पोस्ट में किरण वेदी तथा केजरीवाल की कुंडलियों और ग्रह-दशा का विस्तृत विश्लेषण कर निष्कर्ष निकाला है कि वर्तमान समय अरविन्द केजरीवाल के बहुत ज्यादा पक्ष में नहीं है अतः उनके दिल्ली के अगले मुख्यमंत्री अथवा किसी भी प्रसिद्ध पद को पाना संदेहास्पद है क्योंकि दशवें घर का स्वामी शनि कमजोर है। ५.16 जनवरी की एक अन्य पोस्ट में ‘अरविन्द केजरीवाल का क्या होगा’ यह उनकी कुंडली के आधार पर विश्लेषित करके बताया गया है- कहा गया कि इनकी कुण्डली में बुध आदित्य योग तथा गज केसरी योग बन रहे हैं जो इनके अनुकूल हैं। आठवें और ग्यारहवें घर के स्वामी जुपीटर की महादशा चल रही है जो इनके जीवन में अचानक लाभ अथवा हानि का कारक है। इसी कारण वे केवल 49 दिन दिल्ली के मुख्यमंत्री रह सके। अतः वे निष्कर्ष निकालते हैं- ।तअपदक ज्ञमरतपूंस ूपसस तमउंपद चवसपजपबंस ंबजपअपेजए इनज चतमेमदज चमतपवक पे दवज अमतल मदबवनतंहपदह ंदक ंिअवतंइसम वित ीपउण् प्ज पे कवनइजनिस प िीम ूवनसक इमबवउम जीम दमू ब्ीपम िडपदपेजमत व िक्मसीप वत ूवनसक हमज ंदल चवेपजपवद व िंिउम मंेपसलण् भ्पे।ंउ।ंकउप च्ंतजल ूपसस इम ेजतनहहसपदह जव बवउम जव चवूमत इनज पज उंल दवज इम ंइसम जव हंपद चवूमत ंज समंेज वित दवूण् ६.एक अन्य ज्योतिषी ने किरण बेदी तथा अरविन्द केजरीवाल की कुंडलियों का मिलान करते हुए लिखा है कि- किरण बेदी के मुख्यमंत्री बनने के प्रबल आसार हैं। वर्तमान में बेदी सन-मरकरी-जुपीटर की दशा में 31 जनवरी 2015 तक हैं तत्पश्चात् 21 मार्च 2015 तक सन-मरकरी-सेटर्न होगी। बेदी वर्तमान दिल्ली चुनाव में इसी दशा में रहेंगी। इन व अन्य ज्योतिषीय स्थितियों के कारण यह किरण बेदी के लिए सर्वाधिक लाभ का समय है। चुनाव के समय में केजरीवाल की दशा जुपीटर-वीनस-केतु है अन्य अनेक ज्योतिषीय संकेतों को देखते हुए यह स्पष्ट है कि केजरीवाल को जन-समर्थन तो है पर संकेत इतने पक्ष में नहीं हैं कि वे मुख्यमंत्री बन सकें। किरण बेदी का चार्ट यह बता रहा है कि एक प्च्ैआॅफीसर दिल्ली की शासिका बनने जा रही है। ७.एक अन्य निष्कर्ष देखें- ज्ीने जीम चतमकपबजपवद हवमे सपाम जीपेरू ठश्रच् ूपसस ींअम ं संदक ेसपकमध्ळंजम बतंेीपदह अपबजवतल पद बवउपदह क्मसीप मसमबजपवदण् ज्ीमल ूपसस मंेपसल बतवेे 2ध्3तक उंरवतपजलण् म्गचमबज जीमउ जव मअमद हव इमलवदक 55 ेमंजेण् ज्ीमतम ूपसस इम ं जवजंस – बवउचसमजम तवनज व िंससवजीमत चंतजपमेण् ८.एक अन्य विश्लेषण में निष्कर्ष निकाला है- न्ेपदह ।ेजतवसवहल डमजीवके चतमकपबज तमेनसजे व ि।ेेमउइसल म्समबजपवदे पद क्मसीप वद 7जी थ्मइतनंतल 2015ए ब्वनदजपदह व िअवजमे वद 10जी थ्मइ. ठश्रच् पे जीम मगचमबजमक चंतजल जव वितउ हवअमतदउमदजइनका कहना है कि चुनाव के दिन अर्थात् 7 फरवरी को ध्यान में रखें तो भाजपा को 40 सीटें और यदि चुनाव-परिणाम घोषित होने की तिथि ध्यान में रखें तो भाजपा को 50 सीटें मिलती हैं, जो भी हो यह निश्चित है कि दिल्ली में भाजपा की सरकार बन रही है। ९. एक अत्यंत प्रसिद्ध बेवसाईट पर सूर्य की महादशा और जुपीटर की अन्तर्दशा एवं अन्य ग्रहों की स्थिति के आधार पर भाजपा को 40 सीटों की भविष्यवाणी की गयी जबकि आम आदमी पार्टी को 25 और कांगेस को 5 सीटें दी गयीं हैं। १॰.फलादेशों की एक विधा न्यूमरोलाॅजी कही जाती है। दिल्ली चुनावों में इसका भी प्रयोग हुआ है। इनका भी लम्बी गणना के बाद निकाला निष्कर्ष आपके समक्ष प्रस्तुत है- यहाँ प्रश्न उठाया है कि क्या सन् 2015 अरविन्द केजरीवाल के लिए लाभदायक है- उत्तर नकारात्मक है। ११.28 जनवरी 2005 की एक पोस्ट में स्पष्ट कहा है- सर्वे में भले ही आप पार्टी के अरविन्द केजरीवाल भाजपा के मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार किरण बेदी से आगे चल रहे हों लेकिन सीएम किरण बेदी ही बनेंगी। यह कहना है ज्योतिषियों का। ज्योतिषियों के अनुसार किरण बेदी का जन्म 9 जून 1949 को पंजाब के अमृतसर में दोपहर के 2 बज कर 10 मिनिट पर हुआ था। उनकी जन्मराशि कन्या है। जबकि उस समय हस्त नक्षत्र चल रहा था। उनकी जन्मकुंडली में शुक्र और बुध मिल कर प्रचण्ड राजयोग बना रहे हैं जिसके चलते उन्हें भारत की पहली महिला आईपीएस बनने का सौभाग्य मिला। इसके अतिरिक्त गुरु, चन्द्रमा और मंगल मिलकर नीचभंग योग बना रहे हैं जिससे उन्हें विवादों के बावजूद भी लगातार सफलता मिलती रही है। वर्तमान में किरण बेदी की कुंडली में सूर्य की महादशा में बुध की अन्तर्दशा चल रही है जबकि शनि की प्रत्यन्तर दशा 5 फरवरी 2015 को शुरू हो जाएगी। दिल्ली में चुनाव के लिए मतदान 7 फरवरी को होगा तथा मतगणना 10 फरवरी 2015 को की जाएगी। इस दौरान उनकी चलित कुंडली में राहु बुध से युति करेगा जो कि प्रबल राजयोग बनाएगा। इस समय उनकी कुंडली में सूर्य और मंगल का भी राशि परिवर्तन होगा जो उनके लिए स्थितियों को अनुकूल बना देगा। ऐसे में यही संकेत मिलते हैं कि किरण बेदी न केवल इस चुनाव में जीतेंगी वरन् दिल्ली की मुख्यमंत्री भी बनेंगी और एक कुशल प्रशासक के रूप में अपनी छाप छोडेंगी। १२.एक स्थान पर एक और विचित्र बात कही है कि केजरीवाल 46 साल के हैं और 4 तथा 6 का योग 10 और इससे 1 बनता है जो सफलता का सूचक है। इसके अनुसार मानें तो क्या हर 46 वर्ष का व्यक्ति दिल्ली का मुख्यमंत्री बन जाएगा? यहाँ यह भी लिखना समीचीन होगा कि अंतर्जाल पर पर्याप्त जाँच पड़ताल करने के पश्चात् केवल एक भविष्यवाणी ऐसी मिली जिसमें आप की भारी विजय की बात कही गयी है। वैसे यह पोस्ट 30 जनवरी की है जब तक प्रायः सभी को अंदाजा हो गया था कि ‘आप’ जीत सकती है। उपरोक्त सभी भविष्यवाणियाँ उद्धृत करते समय हमने किसी ज्योतिषी का नामोल्लेख नहीं किया है क्योंकि किसी को बदनाम करना हमारा उद्देश्य नहीं है। जो पाठक ज्यादा जानने की रुचि रखते हैं वे स्वयं गूगल पर जाँच पड़ताल कर सकते हंै। इस विवरण से फलित ज्योतिष की सत्यता का नग्न सत्य सामने आ गया है, ठीक ऐसा ही लोकसभा चुनावों के पश्चात् हुआ था, फिर भी न इन लोगों ने अपना यह जनता को मूर्ख बनाने का व्यवसाय छोड़ा और न जनता और नेताओं ने इनका आश्रय लेना। क्या अबकी बार लोग इस असत्य तथाकथित विद्या का मोह छोड़ेंगे? प्रभु ने ‘विवेक’ नामक विशेष वरदान केवल अपने अमृतपुत्र मानव को दिया है। हमें चाहिए उसका अपमान न करें और उसका प्रयोग करें। दिल्ली में तो आप की झाड़ू चल गयी, आप विवेक की झाडू का प्रयोग कर मानव-मन की गहराइयों तक प्रविष्ट फलित ज्योतिष तथा ऐसे ही कचरे पर झाडू लगा दें।