कृपा का व्यापार
राज्य सेवा में हमारा प्रथम पदस्थापन जोधपुर में हुआ। आर्य समाज, सरदारपुरा के पास ही हमने किराए पर आवास ले रखा
था। मध्य में गाँधी ग्राउण्ड नाम से एक मैदान आता था। वहाँ पहली बार एक पादरी की सभा में हमने ‘कृपा का व्यापार’ देखा।
एक पादरी महोदय सम्मुख उपस्थित श्रोताओं को प्रभु यीशु की कृपा से चमत्कारिक रूप से चंगाई का वर्णन कर रहे थे। उनके
वक्तव्य को प्रमाणित करने अनेक लोग मंच पर आ भी रहे थे। उनमें सर्वप्रमुख चमत्कार था-एक अंधे को दृष्टि प्राप्त हो
जाना। हमारे बचपन से ही आर्य समाजी संस्कार थे अतएव इन बातों पर विश्वास तो संभव था ही नहीं, हाँ स्वीकारोक्ति
भ्रमित कर रही थी। इतने में ही एक पोलियोग्रस्त लडकी मंच पर आई। पादरी जी ने उसके कन्धे पर हाथ लगाकर उसे भी
चंगाई का आशीष दिया। इस लड़की को काफी अरसे से हम लंगड़ाकर चलते देख चुके थे। निश्चय हुआ कि अगर यह बच्ची
ठीक हो जाती है तो इन प्रार्थना सभाओं की सत्यता पर पुनर्विचार करेंगे। सात दिन की यह सभा रही। उस बच्ची को न ठीक
होना था और न वह हुई। पाठकगण! समझ ही गये होंगे कि जो लोग मंच पर आ आकर चंगा होने का दावा कर रहे थे, वे
पादरी के खरीद हुए ऐजेन्ट थे।
यह घटना सन् 1972 की है। पर कृपा का यह व्यापार आज भी धड़ल्ले से चल रहा है। घर घर में दूरदर्शन आने से ऐसे
सौदागरों को व्यापक आयाम प्राप्त हुआ है। एक चैनल पर एक पादरी महोदय का नियमित ‘चंगा करने का यीशु दरबार’
लगता है जिसमें कमोबेश ऊपर वर्णित प्रक्रिया का अनुसरण किया जाता हे।
गत दिनों एक ऐसे ही चमत्कारी बाबा समाचारों में छाए रहे। अजीबोगरीब नुस्खे व सुझाव देकर संसार के लोगों के दुःख दूर
करने का दावा करने वाले ‘निर्मल बाबा’ की निर्मलता स्थायी नहीं रह पाई। करोड़ों रुपयों के ‘कृपा-बाजार’ की कलई खुल
गई। और उनके खाते में भक्तों का योगदान कम हो गया।
प्रश्न यह है कि ‘कृपा’ द्वारा ठगी का धन्धा करने वाले निर्मल बाबा क्या अकेले इस प्रकार का कार्य कर रहे हें? यदि नहीं,तो
इन पर कृपा करने के पश्चात् मीडिया खामोश क्यों हो गया? क्या मीडिया स्वयं अर्थार्जन की खातिर ऐसे लोगों को अनेक
प्रकार से बढ़ावा नहीं दे रहा? हमारा कथन है हाँ? खैर इस संदर्भ में मीडिया की सहभागिता की चर्चा फिर कभी करेंगे । पर
यह अवश्य है कि कृपा का खानदानी व्यापार करने वाला पाल दिनाकरन तथा बीज मंत्र प्रदाता कुमार स्वामी आदि जो कि
निर्मल बाबा जैसी मछली के समक्ष तो मगरमच्छ ही कहे जावेंगे, क्या अछूते छोड़ दिए जाने चाहिए?
पाल दिनाकरन उर्फ पाल बाबा ही नहीं उनके पिता भी कृपा बाँटते थे यानी गुरु पाल को ये सबकुछ विरासत में मिला है।
विरासत में मिली इस खूबी को पाल ने इतने जबरदस्त तरीके से निभाया कि उनके पास 5 हजार करोड़ की संपत्ति जमा होने
की बात कही जाती है।
50 साल के डॉक्टर पाल दिनाकरन डंके की चोट पर अपने आप को ईसाई धर्म का प्रचारक कहते हैं, वो ‘जीसस काल्स’ नाम
के धार्मिक संगठन के प्रमुख हैं और दावा करते हैं कि उन्हें क्राइस्ट की दैवीय शक्तियाँ अपने पिता से विरासत में मिली हैं,
जिनके दम पर वो प्रार्थनाओं के जरिए लोगों के रोग, गरीबी, बेरोज़गारी और किस्म-किस्म के मानसिक दर्द दूर करते हैं।
ये 9 देशों के टीवी चैनल पर अधिकार किये हुए बैठे हैं। ये महोदय ‘जीसस काल्स मिनिस्ट्री’ के नाम पर मैरिज ब्यूरो, जॉब
ब्यूरो और न जाने क्या क्या चलाते हैं। इनका नया दावा है कि क्राइस्ट ने मुझसे कहा कि क्राइस्ट अपने बच्चां को बिजिनेस से
जुड़े मामलों के लिए नयी शक्ति देंगे। और साथ ही बिजिनेस को नए तरीकों से करना सिखायेंगे और जब बिजिनेस करने वाले
लोग इसको मानेंगे तो वो पूरे राष्ट्र को लाभ पहुचाएँगे।
क्राइस्ट का बिजिनेस प्लान-
आत्म
निवेदन नवम्बर 2012
कृपा का व्यापार
1. क्राइस्ट बिजिनेस करने वाले लोगों को अपने इस बिजिनेस प्लान में भागीदार रखना चाहते हैं और इसके लिए बिजिनेस
करने वाले लोगों को इस प्लान के लिए पंजीयन कराना होगा।
2. इसके बाद पाल दिनाकरन की संस्था ‘जीसस काल्स’ इन बिजिनेस से जुड़े लोगों के लिए प्रार्थना करेगी। इनके बिजिनेस
का नाम ले कर।
3. पाल दिनाकरन कहते हैं कि बिजिनेस करने वाला विश्व के किसी कोने में हो वो ईमेल से अपनी प्रार्थना पाल दिनाकरन को
भेजें और पाल दिनाकरन उस बिजिनेस करने वाले के लिए क्राइस्ट से प्रार्थना करेंगे। जब पाल दिनाकरन बिजिनेस करने वाले
के लिए प्रार्थना करेंगे तो उस बिजिनेस करने वाले के बिजिनेस पर क्राइस्ट की कृपा होगी।
क्राइस्ट पाल दिनाकरन इन बिजिनेस करने वालां से क्या कीमत वसूलते हैं अपनी कृपा देने का-
1. बिजिनेस करने वाला अपनी श्रद्धा से क्राइस्ट को कुछ भी दे सकता है।
2. बिजिनेस करने वाला अपने बिजिनेस में हुए लाभ का एक हिस्सा हर महीने क्राइस्ट के कदमों में, क्राइस्ट की कृपा की
कीमत के रूप में चढ़ा सकता है, जो कि पाल दिनाकरन की जेब में जाएगी।
3. बिजिनेस करने वाला अगर ऊपर दिए गए दोनों तरह से नहीं दे पा रहा है तो वो साल के बिजिनेस में हुए लाभ में से एक
हिस्सा दे सकता है।
4. बिजिनेस करने वाला महीने के पहले दिन की अपनी कमाई क्राइस्ट को क्राइस्ट की कृपा की कीमत के रूप में दे सकता है।
एक और बाबा हैं कुमार स्वामी। ये बीज मंत्र देते हैं। इनका दावा है कि ये बीजमंत्र वेदों में हैं। उनके इस दावे को जब कुरुक्षेत्र
में आर्य-विद्वानों ने चुनौती दी तो ये भाग खड़े हुए। टेलीविजन पर अपार भीड़ वाले इस कार्यक्रम को देखिये। सबसे फीस ली
जाती है। अखबार में पूरे-पूरे पृष्ठ वाले विज्ञापन क्या मुफ्त में छपते हैं ? इस सब के पीछे दैवीय शक्ति नहीं वरन् केवल
मार्केटिंग है।
एक लड़की बताती है, ‘ पढ़ाई-लिखाई में मुझे शानदार नतीजे मिले ’ जबकि एक अन्य विद्यार्थी ने लिखा, ‘ अंततः मुझे अपने
पसंदीदा संस्थान में दाखिला मिल गया। ’ ‘ मुझे कैंसर से छुटकारा मिल गया। मेरे पिता बेहद बीमार थे और अब वह स्वस्थ
हो गए हैं। ’ ये सभी बीमारियों की उस लंबी सूची में से लिए गए उदाहरण हैं जिनका स्वामी जी ने कथित तौर पर उपचार
किया। प्रोस्टेट कैंसर, महिलाओं के रक्तस्राव की समस्याओं, मुँहासे, अवसाद, मधुमेह, पैरों में सूजन, डॉक्टरों द्वारा लाइलाज
करार दिए गए कैंसर और ऐसी कई बीमारियों के तथाकथित इलाज के अंकन से युक्त यह सूची यहीं नहीं रुकती। दावा तो
यहाँ तक किया गया है कि ब्रेन ट्यूमर को एक मंत्र के जरिये ठीक कर दिया गया। एक अंधे व्यक्ति की दृष्टि लौट आई, जबकि
उससे पहले चार बार की गई सर्जरी व्यर्थ रही थी। कुमार स्वामी का दावा है कि उन्होंने इन सभी का इलाज अपने मंत्रों और
आशीर्वाद से कर दिया।
इंडिया टीवी ने एक घंटे का कुमार स्वामी का इंटरव्यू दिखाया जिसमें कि उनसे उनके अजीबोगरीब दावों, बहुत सी विसंगतियों,
अथाह सम्पति और उनके लड़के के विभिन्न लड़कियों के साथ फोटो के बारे में सवाल पूछे गए ।
सूत्रधार ने इनसे बहुत सारे सवाल पूछे और अंत में उसने खुद कहा कि इन्होंने किसी भी सवाल का सीधा जबाब नहीं दिया ।
जब सूत्रधार ने पूछा कि वो ब्लड कैंसर जैसे रोगों को ठीक करने का दावा कैसे करते हैं, तो उन्होंने कहा कि वो ये दावा नहीं
करते परन्तु ये शास्त्रों में लिखा है । भगवान ने कहा है कि ये संभव है । इसी तरह का जबाब इन्होंने फिर से दिया जब कि
इनसे पूछा गया कि ये गर्भ के अजन्मे बच्चे को कैसे प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, डाक्टर बनाने का दावा करते हैं?अपनी जिम्मेदारियों
से बचने के लिए ये शब्दों से खेलते हुए दिखाई दिए जब लोगों ने कहा कि उन्होंने पैसा दिया और ठीक वही किया जो कि इनके
द्वारा बताया गया था परन्तु फिर भी उनके रोग दूर नहीं हुए तो इन्होंने जबाब दिया कि, ठीक से पूजा पाठ नहीं किया होगा या
ठीक से मन्त्र नहीं बोले होंगे ।
वस्तुतः दोष इन बाबा वेशधारी ठगों का नहीं बल्कि ठगे जाने वाले लोगों का है जो बिना पुरुषार्थ के सब कुछ पाने की आकांक्षा
से इन तथाकथित गुरुओं के पास जाते हैं अथवा जो परमेश्वर की कर्मफल तथा न्याय व्यवथा में विश्वास नहीं रखते। आप
खरीदने न जाएँ, इनकी दुकानें अपने आप बंद हो जाएँगी।
आत्म
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